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ईति
Meanings: 19; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 3.516935 | Lang: NA
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interruption
Meanings: 14; in Dictionaries: 9
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dustup
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1664362 | Lang: NA
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sorrowfulness
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1664362 | Lang: NA
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words
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1664362 | Lang: NA
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wrangle
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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run-in
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1664362 | Lang: NA
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sadness
Meanings: 4; in Dictionaries: 3
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quarrel
Meanings: 10; in Dictionaries: 5
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row
Meanings: 20; in Dictionaries: 8
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sorrow
Meanings: 14; in Dictionaries: 4
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break
Meanings: 55; in Dictionaries: 12
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ईत
Meanings: 5; in Dictionaries: 3
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भजन - हरिदासनके निकट न आवत ...
हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।
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अतिवृष्टि
Meanings: 8; in Dictionaries: 7
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अनावृष्टि
Meanings: 8; in Dictionaries: 7
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अनिर
Meanings: 4; in Dictionaries: 2
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रामज्ञा प्रश्न - प्रथम सर्ग - सप्तक २
गोस्वामी तुलसीदासजीने श्री. गंगाराम ज्योतिषीके लिये रामाज्ञा-प्रश्नकी रचना की थी, जो आजभी उपयोगी है ।
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विनय पत्रिका - हनुमंत स्तुति ४
विनय पत्रिकामे, भगवान् श्रीराम के अनन्य भक्त तुलसीदास भगवान् की भक्तवत्सलता व दयालुता का दर्शन करा रहे हैं।
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रामज्ञा प्रश्न - सप्तम सर्ग - सप्तक २
गोस्वामी तुलसीदासजीने श्री. गंगाराम ज्योतिषीके लिये रामाज्ञा-प्रश्नकी रचना की थी, जो आजभी उपयोगी है ।
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लघुसिद्धान्तकौमुदी - भाग १२
‘लघुसिद्धान्तकौमुदी’ पाणिनीय संस्कृत व्याकरणाची एक (अष्टाध्यायी) परम्परागत प्रवेशिका आहे. A Complete introduction to Panini Sutras for the use of beginners.
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अयोध्या काण्ड - दोहा २३१ से २४०
गोस्वामी तुलसीदास जीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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अध्याय ६ - भाग ४
महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी हा संस्कृत व्याकरणावरील एक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ आहे, जो ई.पू. ५००व्या शतकात रचला गेला.
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अयोध्या काण्ड - दोहा २५१ से २६०
गोस्वामी तुलसीदास जीने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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सहस्त्र नामे - श्लोक ७१ ते ७५
श्रीगणेशाच्या सहस्त्रनामांचे मराठी अर्थ.
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श्रीगणेशसहस्त्रनाम - श्लोक ७१ ते ८०
विश्वातील सर्व कारणांचे कारण असणारा असा सर्वात्मा , वेदांनी ज्याची महती गायली आहे , सर्वप्रथम पूजनीय असणार्या अशा गणेशाला मी वंदन करितो .
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पाद ४ - खण्ड ७३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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धर्मशास्त्रानुसार विशेष बातें
व्रत हिंदू संस्कृति एवं धर्मके प्राण है;व्रतोंपर वेद, धर्मशास्त्रों, पुराणों तथा वेदाङ्गोंमें बहुत कहा गया है ।
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श्रीदत्तमाहात्म्य - अध्याय २ रा
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत श्रीदत्तमाहात्म्य
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पाद ४ - खण्ड ७०
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ६३
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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पाद १ - खण्ड ९
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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निर्
Meanings: 582; in Dictionaries: 4
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पाद ४ - खण्ड १८
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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तुकाराम गाथा - अभंग संग्रह १५०१ ते १६००
तुकाराम महाराजांचे अभंग म्हणजे रोजच्या जीवनातील विविध व्यवहारातील सुत्ररूपाने केलेले मार्गदर्शन आणि जीवनाचे महाभाष्य.
Tukaram was one of the greatest poet saints, whose Abhang says the greatest philosophy of routine life.
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द्वितीय पाद - संहिताप्रकरण
` नारदपुराण ’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द- शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
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पाद १ - खण्ड ६
व्याकरणमहाभाष्य म्हणजे पाणिनि लिखीत अष्टाध्यायीतील काही निवडक सूत्रांवर पतञ्जलिने केलेले भाष्य. या ग्रंथाची रचना ई.पू २०० ते ई.पू १४० मध्ये केली गेली, असे मत व्याकरण पंडितांचे आहे.
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